सन् 1931 को स्व0 राय बहादुर हरेकृष्ण दास खुन खुन जी ने छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए ऐसे समय में इस विद्यालय को खोला था जब लोग ज्यादातर अपनी बेटियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालयों में नहीं भेजते थे। चौक क्षेत्र में इस प्राथमिक विद्यालय को खोल कर छात्राओं के लिए बहुत उत्तम कार्य किया था जो आज के दौर में महाविद्यालय के रूप में गौरवान्वित हो रहा है। जिसके कारण आज दूर-दूर से भी आ कर छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहीं हैं।

आज इस विद्यालय में 2000 से ऊपर छात्रायें लाभान्वित हो रही हैं। छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए विद्यालय में तमाम तरह की शिक्षा दी जा रही है। छात्राओं को वाद विवाद, संगीत, रंगोली, मेंहदी, वाद्ययंत्र, विज्ञान, इंसपायर एवार्ड योजना, विकलांग (IEDSS) योजना, रेडक्रास, गाइड आदि में छात्राओं को बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और वे हिस्सा लेती हैं।

विद्यालय में संचयिका योजना भी लागू है। शिक्षक अभिभावक संघ विद्यालय में अपना सहयोग प्रदान कर रहा है। विद्यालय सर्वे सुखना भवन्ति तथा सर्वजन हिताय की भावना से निर्वाह करने का प्रयास कर रहा है।

स्काउटिंग के झरोखे से

विद्यालयी पाठ्यक्रम सहायक-सहगामी क्रियाओं में स्काउटिंग / गाइडिंग का महत्वपूर्ण स्थान है। इन क्रियाकलापों में भाग लेने से बालक/बालिकाओं का शारीरिक विकास ही नहीं होता बल्कि सर्वांगीण विकास होता है। अनुशासन विद्यालय का प्राण माना जाता है। गाइडिंग नियमों का पालन करने से अनुशासन की भावना उत्पन्न होती है। सामंजस्य और समायोजन की प्रवृत्ति जाग्रत होती है।
स्काउटिंग / गाइडिंग संस्था एक अंतर्राष्ट्रीय समाजसेवी संस्था हैं। जो देश के बालक/बालिकाओं को सुनागरिकता का प्रशिक्षण प्रदान करती है। जिससे उनमें अनुशासन, समाजसेवा, कर्तव्यपरायणता, प्रकृतिप्रेम और आपसी सामंजस्य की भावना जाग्रत करती है। स्काउटिंग / गाइडिंग कोई प्रशिक्षण नहीं बल्कि सही मायने में जीवन जीने की कला सिखाती है।
गाइड का नियम है कि गाइड दूसरी गाइड की मित्र होती है, पशु-पक्षियों की सहयोगी होती है और प्रकृतिप्रेमी होती है। इन नियमों द्वारा छात्राओं में दया, सहानुभूति और परोपकार की भावना उत्पन्न होती है। अपने कल्याण के साथ-साथ छात्र/छात्राएं निस्वार्थ भाव से समाज और देश की सेवा करती हुई गाइडिंग को चरित्रार्थ करती हैं।